Friday, December 11, 2009

deshdrohi

चौथाखम्भा!
बहुत दुबिधा में हूँ क्या लिखूं! लोकतंत्र का चौथाख्म्भा आज किस मुकाम पर है यह या तो वे लोग जानते हैं जो इससे जुरे  हैं या फिर वे जो इसके भुक्तभोगी हैं. पता नहीं दिल्ली में बैठे पत्रकार क्या करते है मैं नहीं जनता ? मैं जनता हूँ यहाँ के अपने मित्रों को और जनतां हूँ उनकी बेईमानी को भी. अगर मैं गुस्से में कहूँ तो हमसब देशद्रोही है. यह अतिशयोक्ती लग सकती है पर कोई और शब्द मेरे पास नहीं है. बिहार के शेखपुरा जिला बहुत हे छोटा जिला है पर बेईमानी यहाँ बरी बरी होती है. रोज सुबह जब अख़बार हाथ में होती है तो उसमें जनसरोकार की खबर खोजने के लिए दूरबीन की जरूरत पार्टी है. कोई भी रिपोर्टर यहाँ प्रशासन के खिलाफ समाचार नहीं लिख सकता. अख़बार जिलाधिकारी, पुलिस और नेता का मुखपत्र बन कर रह गया है. और बिसेष अगले रोज धन्यवाद.

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